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भारत में लोकतंत्र -Democracy in India

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भारत हमेशा से लोकतान्त्रिक देश रहा है. इसकी बुनियाद में ही लोकतंत्र की छाप देखने मिलती है. यहाँ की सभी धर्मंग्रंथो में इसकी भीनी खुशबु बिखरी पड़ी है. जानकार मेरे इस मत से सरोकार जरुर रखेंगे खासकर अध्यात्मवेत्तावो और ऋषियों का वर्ग. मनुस्मृति के बाद से पिछले 3000 सालों में हलांकि यह काफी छीन हुआ है इसमे कोई संदेह नहीं. भारत की आत्मा को कलुषित करने का पाप इसी एक धर्मग्रन्थ कहे जाने वाले मनुस्मृति के हिस्से आता है नहीं तो भारत का उज्ज्वल अतीत और इतिहास रहा है इसमे कोई दो मत नहीं हो सकता है. कृष्ण के समय और महाभारत काल में इस देश की सभ्यता ने जो ऊचाई छुआ वो फिर दोबारा देखने नहीं मिला इसका कारण भी मनुस्मृति को ही जाता है. समाज में विष वमन का काम पिछले 3000 सालों में ही हुआ है यह सिद्ध हो चूका है. और फिर लोकतंत्र का क्षरण लगातार देखने को मिलता है जिसमें की मनुष्य की गरिमा को चोट पहुचाने का घृणित कार्य भी शामिल है. शुद्रो के साथ भारत में जो घटा वह दुनिया में कही देखने और सुनने नहीं मिलता है. सब मनु महराज की कृपा रही. और इसी एक कारण भारत लगभग 2000 सालों तक गुलाम भी रहा. वर्णा आत्मा को अमर माने ...