Chhattisgarh State छत्तीसगढ़ राज्य


छत्तीसगढ़ राज्य का गठन नवंबर 2000 में देश के छब्बीसवां राज्य के रूप में हुआ था. मूलतः कृषि प्रधान इस राज्य में धान की खेती होती है इसलिए ही इसे धान का कटोरा के नाम से भी जाना जाता है. देश के आजादी के पूर्व इस राज्य में 36 राजे महाराजाओ का शासन था. रायपुर में 18 और बिलासपुर में 18 गढ़ को मिलाकर तब 36 गढ़ होते थे जिसमे बस्तर शामिल नहीं था. बस्तर का अलग से राजा था और वे छत्तीसगढ़ में नहीं गिना जाता था.

      नवंबर 2000 में राज्य बनने के बाद इस राज्य में प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में अजीतजोगी को राज्य की कमान मिली तो उन्होंने अमीर धरती के गरीब लोग की संज्ञा देते हुए प्रदेश की जनता की गरीबी को दूर करने की ठानी और इसीलिए उन्होंने सत्ता में आते ही पूरे राज्य में किसानो से धान की सरकारी खरीदी प्रारंभ की ताकि किसानो को उनके माली हालात से बाहर निकाले. इस काम में वे काफी सफल भी हुए लेकिन राज्य विधानसभा के पहले ही चुनाव में उनकी करारी शिकस्त हुई और सत्ता में भाजपा आ गई. भाजपा की ओर से डॉ रमण सिंह को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. और इस तरह डॉ रमण सिंह लगातार 15 वर्षों तक शासन में रहे. डॉ रमण को लोग चऊर वाले बाबा भी कहते थे. क्योंकि उन्होंने ही प्रदेश में सभी परिवारों को मुफ्त में 35 किलो चावल देने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की थी. नया राजधानी बसाने और छत्तीसगढ़ में सड़कों की स्थिति को काफी हद तक सुधारने में उनके शासनकाल की उपलब्धि कह सकते है.

15 साल के सत्ता सुख के बाद रमण सिंह की बिदाई तय कर वर्ष 2018 में कांग्रेस के भूपेश बघेल ने सत्ता संभाली लेकिन वे जोगी की ही तरह किसानो का भला करने के अलावा कुछ और ना कर सके और पांच साल बाद चुनाव में भाजपा के हाथो सत्ता गवा बैठे. वर्तमान में भाजपा के विष्णुदेव साय राज्य की सत्ता पर काबिज है. छत्तीसगढ़ राज्य में आज जरुर सम्पन्नता दिखाई देती है लेकिन उसे किसी भी तरह खुशहाल प्रदेश नहीं कह सकते.




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