Meditation – मेडिटेशन

Meditation ध्यान का ही एक रूप है जिसमे अशांत चित्त को शांत करने का प्रयास सन्निहित है. जिस प्रकार योग एक बहुत बड़ा दर्शन है लेकिन आजकल उसका विकृत स्वरुप जिसमे हाथ पैर को आड़े तिरछा करना और व्यायाम करने जैसा बताया जाता है जबकि योग व्यायाम ना होकर एक अध्यात्मिक क्रिया है. योग का मतलब ही परमात्व तत्व से स्वयं को जोड़ लेना है जो एक अध्यात्मिक अनुभूति है. ठीक उसी प्रकार ध्यान भी Yog का एक प्रकार है लेकिन meditation ध्यान नहीं है चूकि ध्यान, करने का नाम ना होकर स्वतः हो जाने का नाम है जबकि meditation एक क्रिया है जिसे किया जाना होता है. मैडिटेशन में हम सुखासन का उपयोग करते है. सुखासन यानि जिसमे सुख पूर्वक बैठा जा सके. इस प्रकार सुख पूर्वक एक नियत जगह पर बैठकर आंखे बंद कर शांत बैठ जाना होता है जिसमे “मै कौन हूँ” की भावदशा में स्वयं को जानने का प्रयास भी शामिल होता है. शांत एकाग्रचित्त और मन को नियंत्रित करने के प्रयास को हम meditation कहते है जिसमे बैठे रहने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करना होता है. बस बैठे रहने ही काफी होता है वह भी आंख बंद कर शांत चित्त. मैडिटेशन एक विशिष्ट विधि है मन को शांत करने का. जिसको करने से बहुत से मनोविकारो से भी मनुष्य मात्र को मुक्ति मिल जाती है और धीरे-धीरे मन भी शांत होने लगता है. आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में ज्यादातर लोग मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाते है जो आम बात हो गयी है. लगभग सभी घर परिवार में पारिवारिक क्लेश और कलह का वातावरण आजकल देखा जाता है जो आज के समय की सच्चाई भी है. जिसे चाहकर भी झुठलाया नहीं जा सकता है. काम का तनाव और ऑफिस पॉलिटिक्स भी कामकाजी लोगो में तनाव का एक बड़ा कारण है. आज के भौतिक और आर्थिक युग में मुफ्त में मिलने मिलने वाली रोग में तनाव एक बड़ा रोग है जिसे दवाई से भी ठीक नहीं किया जा सकता है. उसके लिए तो meditation एक रामबाण दवा कारगर सिद्ध होता है. meditation करने के लिए प्रशिक्षण लेने की भी कोई आवश्यकता नहीं होता है ना ही कोई क्लास ज्वाइन करना होता है. meditation के लिए सिर्फ एक खाली कमरा का होना भर पर्याप्त होता है और आपके शांत होने की चाह जरुरी है. बस इतना कॉम्बिनेशन ही काफी है. मैडिटेशन ध्यान में उतरने की ही पहली सीढी है.






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